Shani Jayanti 2025: छोटे से उपाय को करते ही दूर होगी शनि की सनसनी, चुटकियों में बनेंगे बिगड़े काम
शनि जयंती पर इस अचूक उपाय को करते ही दूर होगी ढैय्या की पीड़ा और साढ़ेसाती के सारे कष्ट

Shani Jayanti ke upay : कुंडली में शनि का जिक्र होते ही अक्सर हमारा मन किसी अनिष्ट की आशंका से घबराने लगता है लेकिन जिस शनिदेव से लोग अक्सर घबराते हैं, वहीं आपके कर्मों का पूरा परिणाम देने वाला है। न्यायदाता कहे जाने वाले शनिदेव की जयंती हर साल ज्येष्ठ मास पर मनाई जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार शनि जयंती के दिन विधि-विधान से उनकी पूजा और उससे जुड़े उपाय करने से कुंडली में स्थित शनि दोष दूर होता है और व्यक्ति के सभी अटके काम पूरे होने लगते हैं।
शनि के सरल सनातनी उपाय
ज्योतिष में भले ही शनि की गिनती क्रूर और पाप ग्रहों में होती हो लेकिन हकीकत में यह व्यक्ति के अहंकार को दूर करके उसे सही रास्ते पर लाने का काम करता है। शनिदेव इंसान को तपाकर सोने सा चमका देता है। आइए आज शनि जयंती पर शनि पूजा से जुड़े सरल सनातनी उपाय के बारे में जानते हैं, जिसे करते ही व्यक्ति के दु:खों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- कुंडली में शनि से जुड़े दोष और उससे होने वाले कष्टों को दूर करने तथा शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती के दिन शनि की प्रतिमा पर सरसों का तेल और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का दीया जरूर जलाएं।
- सनातन परंपरा के अनुसार ग्रहों का दोष दूर करने और उनकी शुभता को पाने के लिए दान अत्यंत ही प्रभावकारी माना गया है। ऐसे में यदि संभव हो तो आज अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी दिव्यांग व्यक्ति अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को काला तिल, लोहे का सामान, काला कपड़ा, काला कंबल, काला छाता, उड़द की दाल, चाय की पत्ती आदि का दान जरूर करें।
- ज्योतिष के अनुसार शनि जयंती के पावन अवसर पर यदि कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करता है तो शनिदेव उससे प्रसन्न होकर उसके सभी कष्ट हर लेते हैं।
- शनि जयंती के दिन काले कुत्ते का बिस्कुट अथवा रोटी, काली चींटियों को आटा, काली गाय को तिल का लड्डू, पक्षियों को दाना और पीने के लिए पानी दें।
शनि मंत्र से पूरी होगी मनोकामना
सनातन परंपरा में किसी भी देवी-देवता की कृपा को पाने के लिए उनके जप को अत्यंत ही प्रभावी माना गया है। ऐसे में यदि आप शनिदेव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आज शनि जयंती पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके विधि-विधान से शनि की पूजा करें तथा उनके मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ अथवा ‘सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्षः शिवप्रियः। मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः।’ का अधिक से अधिक जाप करें।