Kanchi Kamakoti Peetham: श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती बने कांची कामकोटि पीठ के कनिष्ठ शंकराचार्य
शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने 71वें शंकराचार्य के रूप में घोषित किया अपना उत्तराधिकारी

Kanchi Kamakoti Peetham: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में ऋग्वेद के विद्वान श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य को इस पावन पीठ का कनिष्ठ धर्माचार्य या फिर कहें कनिष्ठ शंकराचार्य उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। कनिष्ठ शंकराचार्य पद को सुशोभित करने से पहले श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती को गणेश शर्मा द्रविड़ के नाम से जाना जाता था। सन्यास लेने के बाद अब 25 वर्षीय आचार्य सत्य चंद्रशेखरंद्र सरस्वती को अब कांची कामकोटि मठ के उत्तराधिकारी के रूप में जाना जाएगा।
भव्य धार्मिक समारोह में हुआ अभिषेक
कांची कामकोटि पीठ के उत्तराधिकारी की नियुक्ति का आयोजन एक भव्य धार्मिक सामारोह में हुई, जिसमें उन्हें सन्यास दीक्षा के दौरान तांडम सौंपकर मठ के कनिष्ठ धर्माचार्य का यह महत्वपूर्ण पद प्रदान किया गया। इस पावन प्रक्रिया के दौरान कांची कामकोटि मठ में देश भर से पहुंचे कई गणमान्य संत मौजूद थे। श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती इस पावन पीठ के 71वें शंकराचार्य होंगे। कांची कामकोटि के कनिष्ठ शंकराचार्य की नियुक्ति के दौरान वर्तमान शंकराचार्य स्वामी श्री विजयेंद्र सरस्वती जी ने कहा कि गुरु परंपरा को आगे बढ़ाने में कांची कामकोटि पीठ देश के महत्वपूर्ण पीठों में से एक है और अब सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती इस पावन पीठ से जुड़े परिवार के सदस्य बन गए हैं.
कौन हैं सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती
कांची कामकोटि पीठ के कनिष्ठ शंकराचार्य के पद पर बैठने वाले सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती का जन्म आंध्र प्रदेश के अन्नावरम के एक सामान्य परिवार में हुआ। जिनका सन्यास लेने से पहले डुड्डू सत्य वेंकट सूर्य सुब्रमण्यम गणेश शर्मा द्रविड़ नाम हुआ करता था। इनके पिता धनवंतरी शर्मा और माता अलामेलु हैं, जो कि आंध्र प्रदेश के अन्नावरम में श्री सत्यनारायण मंदिर के पुजारी हैं. स्वयं सत्य चंद्रशेखरेंद्र जी भी तेलंगाना के बसारा में श्री ज्ञान सरस्वती देवस्थानम में एक पुजारी के रूप में कार्य कर चुके हैं.नवनियुक्त कनिष्ठ शंकराचार्य सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती सबसे प्राचीन माने जाने वाले ऋग्वेद के विद्वान हैं. उन्होंने इसके अलावा सामवेद, यजुर्वेद, षडंग, उपनिषदों समेत कई शास्त्रों का अध्ययन किया है।
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